Month: November 2019

  • कोई गुब्बारे सी

    पानी में बुलबुलों के फव्वारे सी,ज़िंदगी मेरी मानो कोई गुब्बारे सी। किसकी सांसोंसे ज़िंदा हूं, जानता नहीं,कैसे, क्यों और कब तक, यह भी पता नहीं,वजूद भूले कोई रेगिस्तान के बंजारे सी,ज़िंदगी मेरी मानो कोई गुब्बारे सी॥ ज़मीं पर रहकर आसमान कैसे छू लूंगा?आसमां में अकेला कब तक रह लूंगा?बारिश में, ज़मीं में दब गए अंगारे…