Category: Hindi
वक्त की उम्मीद में वक्त बर्बाद किया है
वक्त की उम्मीद में वक्त बर्बाद किया है सिर्फ भूलनेवालो को हमने याद किया है आज या अंजाम की परवाह रही न थी फुसफुसाए तो जाना क्या रूदाद किया है कुछ महसूस करना, अंदर ही मुस्कुराना ये हादसा न जाने अरसों बाद किया है कब तक कैद रखता यादों में हसित आज़ाद पंछी को अब…
कभी कभी सोचता हूं, छोड़ दूं
कभी कभी सोचता हूं, छोड़ दूं छोड़ दूं वो आखरी कील कोने की,जिस के बिना मेज़ है पूरा और नहीं भी मान लूं गलतियां सारी लेकिन छोड़ दूंइक अहम, जिसे अपना जुनून कह सकूं छोड़ दूं कुछ जिंदगी के अरमान बाकी,अगली पीढ़ी के गर्व करने खातिर ही सही जीत लूं मैं पूरी दुनिया लेकिन छोड़…
तेरा ख़्याल वो शायरी है
जो वक्त के बंधनों को तोड़कभी भी जुबां पर चली आती है जिसे जानते शायद कई लोग हैमगर जहन में मेरे उतर जाती है जो खुद चाहे बहर में हो न सहीइक खुशी की लहर ले आती है जिसे गैरो से छुपाए रखना है मुझेफिर भी खुद ही बयां हो जाती है
फरोशी
इक खुद दर्द सहकर दूसरे को खुशी दे जाती हैदूसरी खुद भी परेशां, दूसरों को भी कर आती है मुंह छुपाती रहती है इक लोगों के जाने के डर सेऔर वो पहचान, वाहवाही दूसरों से करवाती है मयस्सर होती है इक खुफिया कुछ ठिकानों मेंदूजी गम, जाम और आवामो में पाई जाती है इक में…
अधूरी ख्वाहिशें तरसती हैं उनके जाने के बाद
अधूरी ख्वाहिशें तरसती हैं उनके जाने के बादथमी सांसे चलने लगती हैं उनके जाने के बाद आसमान खुला लगने लगा था उनके होने पेमोहब्बत कमबख्त बरसती है उनके जाने के बाद सुना है महेफिले सजा करती है मेरे जाने के बादजुल्फें भी बिखरती होगी अब मेरे जाने के बाद गम के बादल बिखरा करते थे…
नन्हे बालक की चिड़िया
मैं बालक नन्हा, नादानी में, चिड़िया लेकर आया हूं। क्या बतलाउ उस चक्कर में फिर कितना पछताया हूं ॥ उसको भाए ये मन मेरा, मैं उसके गीत पे पगलाया हूं। आई है मर्ज़ी से अपने, न कुछ समझाया फुसलाया हूं॥ चाहे वक्त की बारिश हो या हो छींटे अनबन के, मैं हमेशा उसका भीगा छाता…
अज़ीज़ दोस्त
अज़ीज़ दोस्त हुआ करते थे, अब मिला नहीं जाता,याद हर दम करते हैं मगर, कॉल किया नहीं जाता। शायद मसरूफ होंगे, ज़िंदगी में उलझनें कम थोड़ी है?खुद नई परेशानी बने, खयाल तक सहा नही जाता। खुदको समझदार समझकर अब रूठते भी नहीं,अब जो रूठा ही नहीं उसे मनाया नही जाता। ज्यादा रहा नहीं है कुछ,…
कोरोना काल
काम नहीं है अब तो कोई क्यों न इक काम किया जाए।करते है जो काम, क्यों न उन्हें ही बदनाम किया जाए॥ प्रशासन कुछ भी न कर पाए चलो माना वह वाजिब है।कमाई की तिहाई देने वालो से क्यों न उम्मीद किया जाए॥ जान का जोख़िम है माना, उसमे भी भला बुराई है कोई क्या…
अब मन नहीं करता
डरता रहा हूं आगाजों से इतना, अब डरने का मन नहीं करता ।चाह बाकी है मंजिल की मगर, अब चलने का मन नहीं करता ॥ बेताब हो रहा था यह पंछी दिल में उड़ने को बचपन से ।कैद से हो गया ऐसा लगाव, अब उड़ने का मन नहीं करता ॥ बदलना चाहता था मैं पागल,…
पापा के ६०वे जन्मदिन पर
तोहफ़ा दूं तो क्या दूं समझ नही आता, देना जरूरी भी है क्या समझ नही आता, जिंदगीभर बस लेता रहा हूं जिनसे, उन्हें मैं क्या ही दूं, पता नही चल पाता॥ शायद मेरा मुझसा ही होना तोहफ़ा है उनका, शायद मेरा सुकून से जीना ही सुकून है उनका, शायद मेरा वजूद ही है उनका जीना…