Category: Hindi

  • अधूरी ख्वाहिशें तरसती हैं उनके जाने के बाद

    अधूरी ख्वाहिशें तरसती हैं उनके जाने के बादथमी सांसे चलने लगती हैं उनके जाने के बाद आसमान खुला लगने लगा था उनके होने पेमोहब्बत कमबख्त बरसती है उनके जाने के बाद सुना है महेफिले सजा करती है मेरे जाने के बादजुल्फें भी बिखरती होगी अब मेरे जाने के बाद गम के बादल बिखरा करते थे…

  • नन्हे बालक की चिड़िया

    मैं बालक नन्हा, नादानी में, चिड़िया लेकर आया हूं। क्या बतलाउ उस चक्कर में फिर कितना पछताया हूं ॥ उसको भाए ये मन मेरा, मैं उसके गीत पे पगलाया हूं। आई है मर्ज़ी से अपने, न कुछ समझाया फुसलाया हूं॥ चाहे वक्त की बारिश हो या हो छींटे अनबन के, मैं हमेशा उसका भीगा छाता…

  • अज़ीज़ दोस्त

    अज़ीज़ दोस्त हुआ करते थे, अब मिला नहीं जाता,याद हर दम करते हैं मगर, कॉल किया नहीं जाता। शायद मसरूफ होंगे, ज़िंदगी में उलझनें कम थोड़ी है?खुद नई परेशानी बने, खयाल तक सहा नही जाता। खुदको समझदार समझकर अब रूठते भी नहीं,अब जो रूठा ही नहीं उसे मनाया नही जाता। ज्यादा रहा नहीं है कुछ,…

  • कोरोना काल

    काम नहीं है अब तो कोई क्यों न इक काम किया जाए।करते है जो काम, क्यों न उन्हें ही बदनाम किया जाए॥ प्रशासन कुछ भी न कर पाए चलो माना वह वाजिब है।कमाई की तिहाई देने वालो से क्यों न उम्मीद किया जाए॥ जान का जोख़िम है माना, उसमे भी भला बुराई है कोई क्या…

  • अब मन नहीं करता

    डरता रहा हूं आगाजों से इतना, अब डरने का मन नहीं करता ।चाह बाकी है मंजिल की मगर, अब चलने का मन नहीं करता ॥ बेताब हो रहा था यह पंछी दिल में उड़ने को बचपन से ।कैद से हो गया ऐसा लगाव, अब उड़ने का मन नहीं करता ॥ बदलना चाहता था मैं पागल,…

  • पापा के ६०वे जन्मदिन पर

    तोहफ़ा दूं तो क्या दूं समझ नही आता, देना जरूरी भी है क्या समझ नही आता, जिंदगीभर बस लेता रहा हूं जिनसे, उन्हें मैं क्या ही दूं, पता नही चल पाता॥ शायद मेरा मुझसा ही होना तोहफ़ा है उनका, शायद मेरा सुकून से जीना ही सुकून है उनका, शायद मेरा वजूद ही है उनका जीना…

  • आदत हो गई है अब

    आदत हो गई है अब,बिन आदत ज़िंदगी बिताने की। अब ना रहा है कुछ जिसकी बची तलब है,समझ आ गया कि दुनिया में सब बेमतलब है। गिरने से बचाई थी चिड़िया को जिसे बिल्ली खा गई,खुदको जीने को समझा ही रहा था कि मौत आ गई। बहुत गरुर है उसे, वक्त समझता है खुदको ही…

  • क्या कहना चाहता हूं

    मत पूछो कि मैं क्या कहना चाहता हूं,धोखे में था, धोखे में रहना चाहता हूं। मत दिखाओ तुम मुझे यह आइना,आइने के उस पार रहना चाहता हूं। नाव की भला अपनों से क्या दिल्लगी,समंदर के उस पार रहना चाहता हूं। गांव था, जब उससे उब गया था मैं,खंडर हुआ तो अब रहना चाहता हूं। आंधी,…

  • बड़े पापा को, पापा की तरफ से

    चलो आज फिर से वही काम करते है,आज फिर अतीत में चलो साथ चलते है ।चलो छिप जाते है फिर से मुखोंटो के बीच,बेवजह एक और दिन बर्बाद करते है ॥ वह रातें याद है जब, मिलने आया करते थे,न आंखे, न बातें बंद हो पाती थी मेरी,सोच कर के सुबह न मिल पाएंगे शायद,हो…

  • याद नहीं

    याददाश्त कमज़ोर है, पुरानी बात कोई याद नहीं,मिले है उतना यकीन है मगर मुलाकात याद नहीं। हां, गलती करी ही होगी गर तुम कह रहे हो तो,मगर सच बताऊं तो झगड़े की शुरुआत याद नहीं। मैं टूटा हूं पहले भी, संभला भी हूं कई बार,मगर तुम बदनाम हो वह तो अच्छी बात नहीं। नहीं हूं…