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  • दुनिया : खेल का मैदान

    वो खेल का मैदान जो , न जाने कितने खेलो का जन्मदाता था,अनजाना सा बच्चा आया है, उस भीड़ में खो जाने को अकेला । भाँती भाँती के खेल और भाँती भाँती के लोग,कोई अच्छा, कोई बुरा, पर गया घुल उनमे वह । गिरना, गिराना, फसाद होते रहते हे पल दो पल,रोना, हँसना, जितना, हारना…