Tag: poem

  • भिजवा देना

    हेलो… इससे पहले कि तुम गुस्सा हो,हां, मालूम है कॉल करना मना था,शब्दशः याद है अब तक, जो तय हुआ था, “आज से तुम्हारे सारे गिले तुम्हे ही मुबारक,मेरे शिकवे अब सिर्फ मेरे हुए,ना मैं तुम्हें पुकारूंगा, ना तुम मुड़कर देखोगी,सारे तोहफे खैरात में बांटे जाएंगे,उन रेसटोरेंट्स किसी के भी साथ नहीं जाए जाएंगे,पीली हो…

  • धरती

    कभी कभी मैं यह सोचता हूं,शायद वह कैसे हुआ होगा? शायद वह बारिश ही होगी,जब वह ज़ूम उठी होगी,हरियाली सी‌ छा गई होगी,मुस्कान भी हल्की सी आ गई होगी। जब धरती से ही पाया हुआ अम्रत,धरती ने महिनों बाद वापस पाया होगा,उन सूखे से महिनों में कैसे अंबर नेज़मीं को अपना प्यार जताया होगा ?…

  • मछली

    अब खूनी तो मत कहो, उड़ना था उसे,मैंने बस थोड़ी हवा की सैर करवाई थी। बड़ी ही ख़ूबसूरत थी, चंचल भी थी थोड़ी,नामुमकिन नहीं था कुछ भी उसके लिए,बताया था उसने की घूमना पसंद है उसे,और काफी जगह घूम चुकी है पहले से । बस हवा की सैर करना था उस एक बार,काश बता दिया…

  • dumb random

    can anyone please explain it to me once, what is it that they mean by the word “distance”? is it what keeps the following words different? incident and murder, a lie, and pure innocence? tell me how distant is the day from the night? tell me how distant is the darkness from the light? isn’t…

  • हमारे लिए थे

    न हम जानते थे, न वह जान पाऐ,जो लम्हे कहीं पर हमारे लिए थे । है दिल कुछ गिला‌ सा, चंद बुंदों के खातिर,और बारिश के मौसम हमारे लिए थे । कलम रुक गई है, या अल्फाज़ छुप गए हैं,और जज़्बातों के सैलाब हमारे लिए थे । शायद गज़लें भी फिर, बहर में आ जाती,मीठी…

  • अखबार सा

    कभी लगता है जग मैं मुझे छोड़सब ज्ञानी है, दुनियादारी समझते हैं,शायद हर रोज़ अखबार पढ़ते है । पर अखबार के बारे में सोचो तो,ज्ञान का भंडार, दुनिया का आईना,पर जिंदगी मानो सिर्फ ईक दिन की,कल उसकी जगह नया अखबार लेगा । और बस कहीं कोने में वह बैठा मिलेगा,कोई एक मामूली कागज़ की तरह…

  • Sometimes I wonder

    Sometimes I wonderwhat that time looked like.No weekdays, holidays or weekendsall days used to look alike. Play because you want to,Eat whatever you feel is right,Sleep when you feel tiredDon’t bother what hour of the night. Not worth missing dreamsjust coz you’ve playschool tomorrow,We’ll see, will cry it outif it brings nothing but sorrow. Sometimes…

  • कहानियां

    वैसे तो इधर-उधर हर जगह देखा है,कुछ कहानियों को मैंने बेमकां देखा है ।चिल्लाहट शुरू रहती है हमेशा उनकी,पर न सुनो तो उन्हें बेजुबान देखा है ॥ भीड़ में टकराती रहती है वैसे सब हररोज,पर बहुत कम कहानियों को समान होते देखा है।वैसे तो वजूद क्या भीड़ में अकेली कहानी का,पर अफसाने से सब का…

  • बिछड़ने से ज़रा पहले

    बिछड़ने से ज़रा पहलेईक बार मश्क ही कर लेते, वैसे ही जैसे हर बार किया करते थे। कि बाहर निकले गर तो करना क्या है, मैं मामा का बेटा बनूंगा या तुम चचेरी बहन। दीवार कूदने में लगी चोट को ढकना कैसे हैं, और पता चल जाने पर कहना क्या है॥ तुम्हारे घर पहली बार…

  • वह भी तो मैं हूं

    काग़ज़ भी मैं, कलम भी तो मैं हूं।डर रहा है‌ जो, मैं हूं, डराता भी मैं हूं॥ आंखों देखी, कानों सूनी, अनबनी बातों कामंदिर भी मैं, कूड़ेदां भी तो मैं हूं ॥ बस कुछ चंद लकीरों के जरिए,ज़िंदगियां जी जाता साहिर भी मैं हूं॥ सब निगल जाता समंदर भी मैं,कश्ती भी मैं, मुसाफिर भी मैं…