अभी पिछले पन्नें की स्याही तो सूखी नहीं है,
पर एक और पन्ना लिखने चला हूँ।
चाहें मैं लिखूँ वही सब,
जो पहले भी लिखा है,
या फिर कुछ नया।
क्या लिखने वाला हूँ, पता नहीं,
पर एक और पन्ना लिखने चला हूँ ||
हर एक अक्षर है मेरे बढ़ते कदम मौत की ओर,
फिर भी ख्वाहिश है दिल में और लिखने की।
उतनी स्याही तो नहीं बची है मुझमें,
पर एक और पन्ना लिखने चला हूँ ||
गर लिखता ही रहा तो खत्म जल्दी हो जाऊँगा,
पर आज जिंदा हूँ, क्योंकि लिखता हूँ।
लिख रहा हूँ, या लिखवा रहा है कोई, पता नहीं,
पर एक और पन्ना लिखने चला हूँ ||
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