Category: Hindi

  • ज़रूरी था

    होठ फड़फड़ाते रहे मगर कहना ज़रूरी थादबी उस बुंद का आंख से बहना ज़रूरी था बहुत उम्मीद लगाए बैठे थे ज़माने से बचपन मेंअसलियत जानने घर से निकलना ज़रूरी था ऐसा नहीं है कि हार अब रुला नहीं पाती मुझेजानता हूं मूरत का हर घाव सहना ज़रूरी था गम की गैर मौजूदगी में खुशी मायूस…

  • वक्त में खुद को खोया है, या खुद को पाता जाता हूं

    वक्त में खुद को खोया है, या खुद को पाता जाता हूंअब मैं भी वक्त के जैसा हूं, चुपके से आता जाता हूं सुबह की ठंडी लहर हो या कंधे पे नाचता बस्ता होहंसने के कारण हो लाखों, दाम खुशी का सस्ता होखिड़की पर बैठी बूंद को मैं ज़हन में खोया पाता हूंअब मैं भी…

  • वक्त में वापिस जाऊं तो

    वक्त में वापिस जाऊं तो इतना खुद को समझाना हैमकसद कुछ ढूँढना नहीं, खुद ही कुछ बन जाना है गहराई में दबा हुआ बीज खुद को समझना चाहेगाटूटेगा अंदर से लेकिन फिर इक पौधा बन जाएगा सर्द की धूप जो बहलाती है, गर्मी में दर्द दे जाती हैधूप से रिश्ता समझेगा जब खुदको भीगा पाएगा…

  • जिंदगी के उस पड़ाव पर आ चुके है चलते चलते

    जिंदगी के उस पड़ाव पर आ चुके है चलते चलतेखुद इतना बदल गए है खुद से राब्ता करते करते पाक पानी भी रंग बदल लेता है नई सी सौबत सेबन जाते है लोग अंधेरा अंधेरों से डरते डरते मृगजल अक्सर गुमराह कर देता है राहगीर कोबचा लिया है किसी की आदतों ने मरते मरते किनारा…

  • जानता था

    मुफलिसी में इज़्ज़त कमाना जानता थावादा किए बिना निभाना जानता था अधूरा छोड़ देता था सब कुछ मगरअपने काम से दिल लगाना जानता था परेशानी भी परेशान रहती थी उससेवो हर मिसाल हर फ़साना जानता था हकीकत को अपना सपना मानता थाबचपन से क्या सच क्या झूठ जानता था चल जाना था वक्त को आगे…

  • फिर भी

    हर शक्श, किताब ने समझाया था फिर भीसोने की जाल में फंसे, वाकिफ थे फिर भी तैरना आता नहीं हमें उनको मालूम थाझील सी आंखों में डूबा देते थे फिर भी जिंदगी सुलझाने की कुंजी मानते थेबालों में हाथ उलझा लेते थे फिर भी हर स्पर्श सांस रोक देता था हमारापीठ पर चलाते थे उंगलियां…

  • सफाई कमरे की

    इक कमरा साफ़ करने वाले भैयाकमरे में पड़ी हर चीज ठीक चाहते है छान लेते है हर चीज जो कमरे का हिस्सा नहींबांध लेते है वह सब गठरी में सलूकी सेजैसे मां बच्चे के लिऐ मुखवास बांध लेती है उनकी जगह अभी तय करना लाज़िम नहींवक्त की कमी भी तो है थोड़ी सीकहीं दूर उनका…

  • बांध अक्सर खुल जाता है

    आंखों में अहसास क्यों घुल जाता हैअब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है किसी राहगीर को नंगे पैर फिरता देखया किसी शक्श को रास्ते पे गिरताबच्चे को मां की गोद में खेलता देखअब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है चाहे हो बुजुर्ग की आंखों में बचपनाया बच्चे की पीठ पर बोझ का ढलनाभरी ट्रेन में…

  • गंवाई है जिंदगी सारी, अब इक लम्हा नहीं है

    गंवाई है जिंदगी सारी, अब इक लम्हा नहीं है समझाने की आरज़ू तो है, कोई समझा नहीं है कितना खुश है आसमान, जमीं से जो देखो चाहे चांद हो या सितारा, कौन तन्हा नहीं है मिट्टी है अगर आदम, फूल क्यों नही आता खाद की कमी है ज़हन में या गमला नहीं है दिल तो…

  • नहीं है

    धुल नही पाया दिल, मगर लगा कोई गुलाल नहीं हैदुख तो है उस बात का मगर कोई मलाल नहीं है तड़प रहा हूं देने को जवाब मैं जिसे अरसों सेमिला वो आज मगर अब कोई सवाल नहीं है चाहा है बहुतों ने और जरूरत से बहुत ज्यादामगर लगता है उस जैसा कुछ कमाल नहीं है…