वैसे तो इधर-उधर हर जगह देखा है,
कुछ कहानियों को मैंने बेमकां देखा है ।
चिल्लाहट शुरू रहती है हमेशा उनकी,
पर न सुनो तो उन्हें बेजुबान देखा है ॥
भीड़ में टकराती रहती है वैसे सब हररोज,
पर बहुत कम कहानियों को समान होते देखा है।
वैसे तो वजूद क्या भीड़ में अकेली कहानी का,
पर अफसाने से सब का अंजाम होते देखा है॥
वैसे प्यासी सी रहती है अच्छे अंजाम की हर इक
पर यहां सब को अंजाम से डरते हुए देखा है ।
नहीं जानता कि ख़ुदा का भी ख़ुदा होता है क्या
पर कुछ कहानियों को कहानियां लिखते देखा है ॥
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