न हम जानते थे, न वह जान पाऐ,
जो लम्हे कहीं पर हमारे लिए थे ।
है दिल कुछ गिला सा, चंद बुंदों के खातिर,
और बारिश के मौसम हमारे लिए थे ।
कलम रुक गई है, या अल्फाज़ छुप गए हैं,
और जज़्बातों के सैलाब हमारे लिए थे ।
शायद गज़लें भी फिर, बहर में आ जाती,
मीठी ख़ामोशी के तालाब हमारे लिए थे ।
संदूक में महफूज़ रहती, यह तन्हाई हमारी,
चांद, रात और तारें सब हमारे लिए थे ।
न हमने कुछ बोला, न वह बोल पाए,
हम थे तुम्हारे, तुम सिर्फ हमारे लिए थे ।
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