हेलो… इससे पहले कि तुम गुस्सा हो,
हां, मालूम है कॉल करना मना था,
शब्दशः याद है अब तक, जो तय हुआ था,
“आज से तुम्हारे सारे गिले तुम्हे ही मुबारक,
मेरे शिकवे अब सिर्फ मेरे हुए,
ना मैं तुम्हें पुकारूंगा, ना तुम मुड़कर देखोगी,
सारे तोहफे खैरात में बांटे जाएंगे,
उन रेसटोरेंट्स किसी के भी साथ नहीं जाए जाएंगे,
पीली हो या लोकल, कोई ट्रेन सुनी नहीं जाएगी,
रही बात यादों की, वह तो बंटने से रही,
तुम उसे भुला देना, में भी कोशिश कर लूंगा,
साथ मरने के वादे जैसा ही कुछ,
मैं तुम्हारे लिए मुर्दा, और तुम भी मेरे लिए जिंदा नहीं।”
बस एक बात पूछनी थी,
मेरी नींद तुम्हारी झोली में रह गई है शायद,
इस ओर आते किसी के साथ भिजवा देना।
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