नहीं जानता किस बात का उन्हें इतना तो नाज़ है,
जादूगर है, बिना कुछ किये भी वह मशरूफ रहते है।
इक काम जो कर लो, चिल्लाते रहते हो दिन भर,
वह तुम्हारे बोज़ के साथ पूरी दुनिया चलाती थी।
दिनभर दाद देते रहते हो तस्वीरों की झुर्रियों को,
सामने चहेरे पर शिकन गाढ़ी हो रही है अरसे से।
कलेजा काट कर जिन्होंने दी है उन्हें यह ज़िन्दगी,
कहते हैं उनको ही, मार डालो, तुम्हें सुकून होगा।
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