याददाश्त कमज़ोर है, पुरानी बात कोई याद नहीं,
मिले है उतना यकीन है मगर मुलाकात याद नहीं।
हां, गलती करी ही होगी गर तुम कह रहे हो तो,
मगर सच बताऊं तो झगड़े की शुरुआत याद नहीं।
मैं टूटा हूं पहले भी, संभला भी हूं कई बार,
मगर तुम बदनाम हो वह तो अच्छी बात नहीं।
नहीं हूं खयालों का दरिया, मैं तो बस हूं इक जरिया,
शायद थोड़ा सांवला सा मगर घनी अंधेरी रात नहीं।
मेरे अंश दुनिया पढ़ेगी भी कि नहीं मालूम नहीं,
चलो अस्तित्व भी मिटा लो, बस जज़्बात नहीं।
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