मत पूछो कि मैं क्या कहना चाहता हूं,
धोखे में था, धोखे में रहना चाहता हूं।
मत दिखाओ तुम मुझे यह आइना,
आइने के उस पार रहना चाहता हूं।
नाव की भला अपनों से क्या दिल्लगी,
समंदर के उस पार रहना चाहता हूं।
गांव था, जब उससे उब गया था मैं,
खंडर हुआ तो अब रहना चाहता हूं।
आंधी, हवा, बारिश था जिसके लिए,
अब बुझ गया तो साथ रहना चाहता हूं।
Leave a Reply