Category: Poem

  • કબૂલ કર્યો ડૂબવાનો અંજામ, સહારો મળી ગયો

    નાખુદા ગણો કે કશ્તી, જોઈ કિનારો વળી ગયો

  • तेरा ख़्याल वो शायरी है

    जो वक्त के बंधनों को तोड़कभी भी जुबां पर चली आती है जिसे जानते शायद कई लोग हैमगर जहन में मेरे उतर जाती है जो खुद चाहे बहर में हो न सहीइक खुशी की लहर ले आती है जिसे गैरो से छुपाए रखना है मुझेफिर भी खुद ही बयां हो जाती है

  • फरोशी

    इक खुद दर्द सहकर दूसरे को खुशी दे जाती हैदूसरी खुद भी परेशां, दूसरों को भी कर आती है मुंह छुपाती रहती है इक लोगों के जाने के डर सेऔर वो पहचान, वाहवाही दूसरों से करवाती है मयस्सर होती है इक खुफिया कुछ ठिकानों मेंदूजी गम, जाम और आवामो में पाई जाती है इक में…

  • अधूरी ख्वाहिशें तरसती हैं उनके जाने के बाद

    अधूरी ख्वाहिशें तरसती हैं उनके जाने के बादथमी सांसे चलने लगती हैं उनके जाने के बाद आसमान खुला लगने लगा था उनके होने पेमोहब्बत कमबख्त बरसती है उनके जाने के बाद सुना है महेफिले सजा करती है मेरे जाने के बादजुल्फें भी बिखरती होगी अब मेरे जाने के बाद गम के बादल बिखरा करते थे…

  • અપેક્ષા

    રંગ રંગમાં ભળીને રંગ જ રહે ને ભલા, ભલે ને પછી ધમપછાડા તું કેટલાય કર. તું ધોળી એક વાદળી, હું વાદળ જો શ્યામ, ભળી જઈએ જાણે કોઈ દૂધ ને સાકર. જો તું ખીલી કબાટની, ને હું કપડું ટિંગાયેલું, છૂટું પડવામાય તો છે હવે વેતરાવાનો ડર. તું પેલું કોહવાતું લાકડું, ને હું લહરાતો સઢ, રહેશે જો…

  • On Gurupurnima

    I know I don’t mention it a lot, But in the ocean, if you observe this boat, You’ll observe every section, each part, is nothing but just pieces of great art. Everyone knows a boat can never build itself, It’d be just a fallen tree had it not gotten any help, Maybe I’d have survived,…

  • नन्हे बालक की चिड़िया

    मैं बालक नन्हा, नादानी में, चिड़िया लेकर आया हूं। क्या बतलाउ उस चक्कर में फिर कितना पछताया हूं ॥ उसको भाए ये मन मेरा, मैं उसके गीत पे पगलाया हूं। आई है मर्ज़ी से अपने, न कुछ समझाया फुसलाया हूं॥ चाहे वक्त की बारिश हो या हो छींटे अनबन के, मैं हमेशा उसका भीगा छाता…

  • શોધ

    વાદલડી જતી રહી છે ને હવે વરસાદ શોધું છું, સંબંધોનો શ્વાસ ઘૂંટીને હવે એમાં સાદ શોધું છું. ઘરે દર રાત જોવાતી હતી એ વાટ શોધું છું, જાણીને કરેલી ભૂલ માટે થતી ફરિયાદ શોધું છું. શૂન્ય થઇ ગયો છું, અગણિત થવા ઘાત શોધું છું, આ દુઃસ્વપ્નથી નીકળી શકું તેવી રાત શોધું છું. જે હ્રદયમાં હોય મારો…

  • अज़ीज़ दोस्त

    अज़ीज़ दोस्त हुआ करते थे, अब मिला नहीं जाता,याद हर दम करते हैं मगर, कॉल किया नहीं जाता। शायद मसरूफ होंगे, ज़िंदगी में उलझनें कम थोड़ी है?खुद नई परेशानी बने, खयाल तक सहा नही जाता। खुदको समझदार समझकर अब रूठते भी नहीं,अब जो रूठा ही नहीं उसे मनाया नही जाता। ज्यादा रहा नहीं है कुछ,…

  • कोरोना काल

    काम नहीं है अब तो कोई क्यों न इक काम किया जाए।करते है जो काम, क्यों न उन्हें ही बदनाम किया जाए॥ प्रशासन कुछ भी न कर पाए चलो माना वह वाजिब है।कमाई की तिहाई देने वालो से क्यों न उम्मीद किया जाए॥ जान का जोख़िम है माना, उसमे भी भला बुराई है कोई क्या…