Category: Poem
नन्हे बालक की चिड़िया
मैं बालक नन्हा, नादानी में, चिड़िया लेकर आया हूं। क्या बतलाउ उस चक्कर में फिर कितना पछताया हूं ॥ उसको भाए ये मन मेरा, मैं उसके गीत पे पगलाया हूं। आई है मर्ज़ी से अपने, न कुछ समझाया फुसलाया हूं॥ चाहे वक्त की बारिश हो या हो छींटे अनबन के, मैं हमेशा उसका भीगा छाता…
શોધ
વાદલડી જતી રહી છે ને હવે વરસાદ શોધું છું, સંબંધોનો શ્વાસ ઘૂંટીને હવે એમાં સાદ શોધું છું. ઘરે દર રાત જોવાતી હતી એ વાટ શોધું છું, જાણીને કરેલી ભૂલ માટે થતી ફરિયાદ શોધું છું. શૂન્ય થઇ ગયો છું, અગણિત થવા ઘાત શોધું છું, આ દુઃસ્વપ્નથી નીકળી શકું તેવી રાત શોધું છું. જે હ્રદયમાં હોય મારો…
अज़ीज़ दोस्त
अज़ीज़ दोस्त हुआ करते थे, अब मिला नहीं जाता,याद हर दम करते हैं मगर, कॉल किया नहीं जाता। शायद मसरूफ होंगे, ज़िंदगी में उलझनें कम थोड़ी है?खुद नई परेशानी बने, खयाल तक सहा नही जाता। खुदको समझदार समझकर अब रूठते भी नहीं,अब जो रूठा ही नहीं उसे मनाया नही जाता। ज्यादा रहा नहीं है कुछ,…
कोरोना काल
काम नहीं है अब तो कोई क्यों न इक काम किया जाए।करते है जो काम, क्यों न उन्हें ही बदनाम किया जाए॥ प्रशासन कुछ भी न कर पाए चलो माना वह वाजिब है।कमाई की तिहाई देने वालो से क्यों न उम्मीद किया जाए॥ जान का जोख़िम है माना, उसमे भी भला बुराई है कोई क्या…
अब मन नहीं करता
डरता रहा हूं आगाजों से इतना, अब डरने का मन नहीं करता ।चाह बाकी है मंजिल की मगर, अब चलने का मन नहीं करता ॥ बेताब हो रहा था यह पंछी दिल में उड़ने को बचपन से ।कैद से हो गया ऐसा लगाव, अब उड़ने का मन नहीं करता ॥ बदलना चाहता था मैं पागल,…
पापा के ६०वे जन्मदिन पर
तोहफ़ा दूं तो क्या दूं समझ नही आता, देना जरूरी भी है क्या समझ नही आता, जिंदगीभर बस लेता रहा हूं जिनसे, उन्हें मैं क्या ही दूं, पता नही चल पाता॥ शायद मेरा मुझसा ही होना तोहफ़ा है उनका, शायद मेरा सुकून से जीना ही सुकून है उनका, शायद मेरा वजूद ही है उनका जीना…
आदत हो गई है अब
आदत हो गई है अब,बिन आदत ज़िंदगी बिताने की। अब ना रहा है कुछ जिसकी बची तलब है,समझ आ गया कि दुनिया में सब बेमतलब है। गिरने से बचाई थी चिड़िया को जिसे बिल्ली खा गई,खुदको जीने को समझा ही रहा था कि मौत आ गई। बहुत गरुर है उसे, वक्त समझता है खुदको ही…
પતંગપ્રેમી પંખી
કાલનો એ દી હતો ને આજે થઈ રાતડીએની સૂરત મારે આંખોમાંથી જાતી નથી. ગ્યો તો હું ગામમાં કંઈ લેવા આ પેટ હારુંકોઈ મિષ્ટાન્ન બી ભૂખ હવે ઠારતી નથી. રૂમઝુમતી કાયા ને પાંખોયે નખરાળી,એથી નિરાળી ઉડવાની કોઈ ભાત નથી. એનો પ્રેમી તો આભ, મારી શું તોલ કરું,દઉં જીવ તોય કિસ્મતનો જ સંગાથ નથી. કાલનો એ દી…
આશ્રયની નથી જરૂર
આશ્રયની નથી જરૂર, બસ તારો સાથ માંગું છું,વકી છે રાત હશે અંધારી, બસ થોડો ચાંદ માંગું છું. ડગલે પગલે અનુભવું અટ્ટહાસ્ય સમસ્યાઓ પર,જાણે ખાબોચિયું તરવા હું તુજથી નાવ માંગું છું. વલખતો હતો જે એકાંત માટે હું જિંદગીભર,આપ્યો તેં એટલો, હવે થોડો ઘોંઘાટ માંગું છું. મૂર્ખતા હતી મારી, ભવિષ્યની સમજણ લઈ બેઠો,ઈશ્વર હવે તુજ પર બસ…
क्या कहना चाहता हूं
मत पूछो कि मैं क्या कहना चाहता हूं,धोखे में था, धोखे में रहना चाहता हूं। मत दिखाओ तुम मुझे यह आइना,आइने के उस पार रहना चाहता हूं। नाव की भला अपनों से क्या दिल्लगी,समंदर के उस पार रहना चाहता हूं। गांव था, जब उससे उब गया था मैं,खंडर हुआ तो अब रहना चाहता हूं। आंधी,…