Tag: poem

  • फिर भी

    हर शक्श, किताब ने समझाया था फिर भीसोने की जाल में फंसे, वाकिफ थे फिर भी तैरना आता नहीं हमें उनको मालूम थाझील सी आंखों में डूबा देते थे फिर भी जिंदगी सुलझाने की कुंजी मानते थेबालों में हाथ उलझा लेते थे फिर भी हर स्पर्श सांस रोक देता था हमारापीठ पर चलाते थे उंगलियां…

  • सफाई कमरे की

    इक कमरा साफ़ करने वाले भैयाकमरे में पड़ी हर चीज ठीक चाहते है छान लेते है हर चीज जो कमरे का हिस्सा नहींबांध लेते है वह सब गठरी में सलूकी सेजैसे मां बच्चे के लिऐ मुखवास बांध लेती है उनकी जगह अभी तय करना लाज़िम नहींवक्त की कमी भी तो है थोड़ी सीकहीं दूर उनका…

  • बांध अक्सर खुल जाता है

    आंखों में अहसास क्यों घुल जाता हैअब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है किसी राहगीर को नंगे पैर फिरता देखया किसी शक्श को रास्ते पे गिरताबच्चे को मां की गोद में खेलता देखअब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है चाहे हो बुजुर्ग की आंखों में बचपनाया बच्चे की पीठ पर बोझ का ढलनाभरी ट्रेन में…

  • गंवाई है जिंदगी सारी, अब इक लम्हा नहीं है

    गंवाई है जिंदगी सारी, अब इक लम्हा नहीं है समझाने की आरज़ू तो है, कोई समझा नहीं है कितना खुश है आसमान, जमीं से जो देखो चाहे चांद हो या सितारा, कौन तन्हा नहीं है मिट्टी है अगर आदम, फूल क्यों नही आता खाद की कमी है ज़हन में या गमला नहीं है दिल तो…

  • नहीं है

    धुल नही पाया दिल, मगर लगा कोई गुलाल नहीं हैदुख तो है उस बात का मगर कोई मलाल नहीं है तड़प रहा हूं देने को जवाब मैं जिसे अरसों सेमिला वो आज मगर अब कोई सवाल नहीं है चाहा है बहुतों ने और जरूरत से बहुत ज्यादामगर लगता है उस जैसा कुछ कमाल नहीं है…

  • अचानक

    उछल रहा था कल तक, अचानक भारी सा क्यों हैंभरा हुआ है अगर दिल, लग रहा खाली सा क्यों हैं हर हर्फ में महोब्बत महकती थी उनके कभीहर अल्फाज आज उनका गाली सा क्यों हैं समझा लिया है सारी आवाम को अपनी बातों सेमगर फिर भी वो इक शख्स खयाली सा क्यों है उनसे नज़रे…

  • सोचता हूं

    लिख दूं उन्हें जब भी उनकी याद आती हैबता दूं मेरे कितना पास हो अब भी बहुत सा सीखा है मैंने जो वक्त साथ बीताबता दूं मेरी आदतों में खास हो अब भी यादें मिटाने की कोशिश भला मूर्खता होगीबता दूं क्या, जिंदगी की बुनियाद हो अब भी मुकम्मल क्यों नहीं होता वो सब जो…

  • कोई तो रोक लो

    फिसल रहा है दिल फिर उस गली में, कोई तो रोक लो घुल रही है बारिश की बूंदे फिर नदी में, कोई तो रोक लो हालातों सी मधुमक्खियां चुरा जाती है खुशियां मेरी ये जिंदगी की खुशबू को फैलने से कोई तो रोक लो ख्वाब और उम्मीदें गुनगुनाते रहते है दिन भर यहां रात को…

  • वक्त की उम्मीद में वक्त बर्बाद किया है

    वक्त की उम्मीद में वक्त बर्बाद किया है सिर्फ भूलनेवालो को हमने याद किया है आज या अंजाम की परवाह रही न थी फुसफुसाए तो जाना क्या रूदाद किया है कुछ महसूस करना, अंदर ही मुस्कुराना ये हादसा न जाने अरसों बाद किया है कब तक कैद रखता यादों में हसित आज़ाद पंछी को अब…

  • ઉતાવળ હો જ્યારે, બારણાં વખાય નહિ

    લખવા બેસો જ્યારે, ત્યારે જ લખાય નહિ