बांध अक्सर खुल जाता है

आंखों में अहसास क्यों घुल जाता है
अब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है

किसी राहगीर को नंगे पैर फिरता देख
या किसी शक्श को रास्ते पे गिरता
बच्चे को मां की गोद में खेलता देख
अब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है

चाहे हो बुजुर्ग की आंखों में बचपना
या बच्चे की पीठ पर बोझ का ढलना
भरी ट्रेन में टूटे सपनो का सैलाब देख
अब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है

जिंदगी में छांव देने वाले लोग और पेड़
खेल का मैदान जो मौजूद नहीं अब
बारिश में कागज़ की नाव तक देख
अब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है

इकट्ठा कौन कर रहा है यह अश्रु ज़हन में
रोकने वाले की छुट्टी मंजूर कौन कर बैठा
सुना घर, भरी दीवार, कुछ भी अपना सा देख
अब बांध अक्सर क्यों खुल जाता है


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