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अब मन नहीं करता
डरता रहा हूं आगाजों से इतना, अब डरने का मन नहीं करता ।चाह बाकी है मंजिल की मगर, अब चलने का मन नहीं करता ॥ बेताब हो रहा था यह पंछी दिल में उड़ने को बचपन से ।कैद से हो गया ऐसा लगाव, अब उड़ने का मन नहीं करता ॥ बदलना चाहता था मैं पागल,…
पापा के ६०वे जन्मदिन पर
तोहफ़ा दूं तो क्या दूं समझ नही आता, देना जरूरी भी है क्या समझ नही आता, जिंदगीभर बस लेता रहा हूं जिनसे, उन्हें मैं क्या ही दूं, पता नही चल पाता॥ शायद मेरा मुझसा ही होना तोहफ़ा है उनका, शायद मेरा सुकून से जीना ही सुकून है उनका, शायद मेरा वजूद ही है उनका जीना…
आदत हो गई है अब
आदत हो गई है अब,बिन आदत ज़िंदगी बिताने की। अब ना रहा है कुछ जिसकी बची तलब है,समझ आ गया कि दुनिया में सब बेमतलब है। गिरने से बचाई थी चिड़िया को जिसे बिल्ली खा गई,खुदको जीने को समझा ही रहा था कि मौत आ गई। बहुत गरुर है उसे, वक्त समझता है खुदको ही…
પતંગપ્રેમી પંખી
કાલનો એ દી હતો ને આજે થઈ રાતડીએની સૂરત મારે આંખોમાંથી જાતી નથી. ગ્યો તો હું ગામમાં કંઈ લેવા આ પેટ હારુંકોઈ મિષ્ટાન્ન બી ભૂખ હવે ઠારતી નથી. રૂમઝુમતી કાયા ને પાંખોયે નખરાળી,એથી નિરાળી ઉડવાની કોઈ ભાત નથી. એનો પ્રેમી તો આભ, મારી શું તોલ કરું,દઉં જીવ તોય કિસ્મતનો જ સંગાથ નથી. કાલનો એ દી…
આશ્રયની નથી જરૂર
આશ્રયની નથી જરૂર, બસ તારો સાથ માંગું છું,વકી છે રાત હશે અંધારી, બસ થોડો ચાંદ માંગું છું. ડગલે પગલે અનુભવું અટ્ટહાસ્ય સમસ્યાઓ પર,જાણે ખાબોચિયું તરવા હું તુજથી નાવ માંગું છું. વલખતો હતો જે એકાંત માટે હું જિંદગીભર,આપ્યો તેં એટલો, હવે થોડો ઘોંઘાટ માંગું છું. મૂર્ખતા હતી મારી, ભવિષ્યની સમજણ લઈ બેઠો,ઈશ્વર હવે તુજ પર બસ…
क्या कहना चाहता हूं
मत पूछो कि मैं क्या कहना चाहता हूं,धोखे में था, धोखे में रहना चाहता हूं। मत दिखाओ तुम मुझे यह आइना,आइने के उस पार रहना चाहता हूं। नाव की भला अपनों से क्या दिल्लगी,समंदर के उस पार रहना चाहता हूं। गांव था, जब उससे उब गया था मैं,खंडर हुआ तो अब रहना चाहता हूं। आंधी,…
बड़े पापा को, पापा की तरफ से
चलो आज फिर से वही काम करते है,आज फिर अतीत में चलो साथ चलते है ।चलो छिप जाते है फिर से मुखोंटो के बीच,बेवजह एक और दिन बर्बाद करते है ॥ वह रातें याद है जब, मिलने आया करते थे,न आंखे, न बातें बंद हो पाती थी मेरी,सोच कर के सुबह न मिल पाएंगे शायद,हो…
એપ્રિલ ફૂલ
ભૂલું પડ્યું છે ચકોરપૂછે છે ગામમાં, ચાંદો કોઈએ દીઠો કે?કોણ સમજાવે એને ચાલાકી ડુંગરાની,વાદળમાં છુપાડી સામે ટેકરી ભેગો કીધો છે. ગીધ એ પણ કરી જો સરજિકલ સ્ટ્રાઈક,ઘરમાં નીકળી તો ફક્ત સાપની કાંચળી,મરજીવા માટે છીપલુંય નીકળ્યું છે જાદૂગર,એને ખોલતા ન જડયું એકેય મોતી. સૂરજ પણ ગ્રહણ ના નામે રમે સંતાકૂકડી,કાળા ડીબાંગ વાદળો પણ કરી જાય થપ્પો,કાચિંડો…
कुछ बच्चे भी ना
नहीं जानता किस बात का उन्हें इतना तो नाज़ है,जादूगर है, बिना कुछ किये भी वह मशरूफ रहते है। इक काम जो कर लो, चिल्लाते रहते हो दिन भर,वह तुम्हारे बोज़ के साथ पूरी दुनिया चलाती थी। दिनभर दाद देते रहते हो तस्वीरों की झुर्रियों को,सामने चहेरे पर शिकन गाढ़ी हो रही है अरसे से।…
सच या झूठ
हररोज की तरह मैं कमरे में तन्हा सा,खुद के वजूद के बारे में सोच रहा था।कोई और भी था, झूठ नाम था उसका। जो सच नहीं है, वह सब झूठ ही है क्या?वह परियों की कहानियां सारी,वह अफसाने जिनमें मौत भी चलती है,दौड़ती है, बातें करती हैं?हाथी चींटी के वह सारे चुटकुले,जिन्हें सुनकर में मायूसी…