दिया

बताने की पहले भी कोशिश कर चूका हूं।
नज़दीकी सब को तबाह कर चुका हूं ॥

मुझे उजालों से ही याद रखना ए दुनिया,
झांक न लेना जो अंधेरा छुपाए रखा हूं।

ज़रूरत न पूछो, उसके बिना न ज़िंदा हूं,
और न आंधी भी उसकी बर्दास्त कर रहा हूं ।

ज़हर घुल रहा है ज़िंदगी में मेरी बूंद बूंद,
शायद अमृत की बारिश है, मैं भीग रहा हूं ।

आग़ाज़, अंजाम के सवालात न करो मुझसे,
बस आया जहां से वहीं जा रहा हूं।

खुद जलकर दूसरों के लिए जिया हूं।
मैं बस इक छोटा सा, नन्हा सा दिया हूं ॥


Posted

in

,

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *