कैसे

वक्त की गाड़ी रुकती है पल भर, ठहरोगे कैसे
खुश्बू से लम्हें बिखरते है मगर, समेटोगे कैसे

ख्वाबों की दुनिया की अंदरूनी हकीकत यही है
घूंघट में मुस्कुराती होगी जो खुशी, ढूंढोगे कैसे

बीज में वृक्ष, मोड़ में सफर देख लेते हो अगर
हर लम्हें में बसी जिंदगी से, आंख मुंदोगे कैसे

जिद्दी है लम्हें, कभी दिल से विदा होने न देना
लौटकर जो आए नहीं अगर, फिर जिओगे कैसे

साए से निकला पेड़ भी साया बनाता है हसित
जिन साए को छोड़ आए हो तुम, भूलोगे कैसे

– हसित भट्ट


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