Category: Hindi

  • आदत हो गई है अब

    आदत हो गई है अब,बिन आदत ज़िंदगी बिताने की। अब ना रहा है कुछ जिसकी बची तलब है,समझ आ गया कि दुनिया में सब बेमतलब है। गिरने से बचाई थी चिड़िया को जिसे बिल्ली खा गई,खुदको जीने को समझा ही रहा था कि मौत आ गई। बहुत गरुर है उसे, वक्त समझता है खुदको ही…

  • क्या कहना चाहता हूं

    मत पूछो कि मैं क्या कहना चाहता हूं,धोखे में था, धोखे में रहना चाहता हूं। मत दिखाओ तुम मुझे यह आइना,आइने के उस पार रहना चाहता हूं। नाव की भला अपनों से क्या दिल्लगी,समंदर के उस पार रहना चाहता हूं। गांव था, जब उससे उब गया था मैं,खंडर हुआ तो अब रहना चाहता हूं। आंधी,…

  • बड़े पापा को, पापा की तरफ से

    चलो आज फिर से वही काम करते है,आज फिर अतीत में चलो साथ चलते है ।चलो छिप जाते है फिर से मुखोंटो के बीच,बेवजह एक और दिन बर्बाद करते है ॥ वह रातें याद है जब, मिलने आया करते थे,न आंखे, न बातें बंद हो पाती थी मेरी,सोच कर के सुबह न मिल पाएंगे शायद,हो…

  • याद नहीं

    याददाश्त कमज़ोर है, पुरानी बात कोई याद नहीं,मिले है उतना यकीन है मगर मुलाकात याद नहीं। हां, गलती करी ही होगी गर तुम कह रहे हो तो,मगर सच बताऊं तो झगड़े की शुरुआत याद नहीं। मैं टूटा हूं पहले भी, संभला भी हूं कई बार,मगर तुम बदनाम हो वह तो अच्छी बात नहीं। नहीं हूं…

  • दिया

    बताने की पहले भी कोशिश कर चूका हूं।नज़दीकी सब को तबाह कर चुका हूं ॥ मुझे उजालों से ही याद रखना ए दुनिया,झांक न लेना जो अंधेरा छुपाए रखा हूं। ज़रूरत न पूछो, उसके बिना न ज़िंदा हूं,और न आंधी भी उसकी बर्दास्त कर रहा हूं । ज़हर घुल रहा है ज़िंदगी में मेरी बूंद…

  • कुछ बच्चे भी ना

    नहीं जानता किस बात का उन्हें इतना तो नाज़ है,जादूगर है, बिना कुछ किये भी वह मशरूफ रहते है। इक काम जो कर लो, चिल्लाते रहते हो दिन भर,वह तुम्हारे बोज़ के साथ पूरी दुनिया चलाती थी। दिनभर दाद देते रहते हो तस्वीरों की झुर्रियों को,सामने चहेरे पर शिकन गाढ़ी हो रही है अरसे से।…

  • सच या झूठ

    हररोज की तरह मैं कमरे में तन्हा सा,खुद के वजूद के बारे में सोच रहा था।कोई और भी था, झूठ नाम था उसका। जो सच नहीं है, वह सब झूठ ही है क्या?वह परियों की कहानियां सारी,वह अफसाने जिनमें मौत भी चलती है,दौड़ती है, बातें करती हैं?हाथी चींटी के वह सारे चुटकुले,जिन्हें सुनकर में मायूसी…

  • रात

    जल गए सारे, जो भी मैं धूप में सेक रहा था,सपने जो कल अंधेरे में हमने देख रखें थे।मैं कबसे अपने क़िस्मत को कोसता सोच रहा हूं,तुम भी चुपके से साथ में मेरे बैठ चुकी हो। तुम भी तो अपने सूरज को देखकर छुप जाती हो,मैं भी अपने सच से मुंह छिपाता फिर रहा हूं,मैंने…

  • कहानी बस थोड़ी एक सी होती है

    आज जब अपनी कहानी लिखने कलम उठाई जैसे,लगा लिखे शब्दों पर फिर से कलम चल रही थी जैसे। कल जो ठोकर खाकर घाव मेरे सिर पर पड़ा है,वैसा ही जैसा पापा के सिर पर कबसे खड़ा है। वह भी तो अपने कुछ ख़्वाबों को लेकर दूर चले होंगे,अपना खून सींच अपना जग में नाम बनाते…

  • चिड़िया vegan बनना चाहती है

    नन्ही सी चिड़िया vegan बनना चाहती है,सुना है कि कीड़े खाने से warming बढ़ती जाती है,चावल में तो carb है, slim रहने का ख्वाब है,Cult से मंगवा नहीं सकती, बाप भी न‌ कोई नवाब है,lentil पड़ोसी के पास है मगर उनके Ally कोई और है,United nests में जाएं, मगर वहां भी trade war है,दूर जाकर…