Category: Non-technical

  • अखबार सा

    कभी लगता है जग मैं मुझे छोड़सब ज्ञानी है, दुनियादारी समझते हैं,शायद हर रोज़ अखबार पढ़ते है । पर अखबार के बारे में सोचो तो,ज्ञान का भंडार, दुनिया का आईना,पर जिंदगी मानो सिर्फ ईक दिन की,कल उसकी जगह नया अखबार लेगा । और बस कहीं कोने में वह बैठा मिलेगा,कोई एक मामूली कागज़ की तरह…

  • ईक और दिन आज बीत गया

    ईक और दिन आज बीत गयाईक और रात आज जाएगी ।आज फिर दिन शुरू हुआ था दोपहर सेयह बात अब पूरा सप्ताह सताएगी ॥ याद तक नहीं सूरज का ढलना,जिंदगी बस कट रही है, जी नहीं जा रही ।न जाने कब शाम मुझे, बेवजह टहलता पायेगी । पर मना लेता हूं खुद को हर बार,सिर्फ…

  • Sometimes I wonder

    Sometimes I wonderwhat that time looked like.No weekdays, holidays or weekendsall days used to look alike. Play because you want to,Eat whatever you feel is right,Sleep when you feel tiredDon’t bother what hour of the night. Not worth missing dreamsjust coz you’ve playschool tomorrow,We’ll see, will cry it outif it brings nothing but sorrow. Sometimes…

  • ઝાકળ

    કાતિલ રાત ખબર નહીં કેમ, પણ માળું હારું , ઘણી વાર લાગે કે પ્રેમ કિસ્મતમાં જ નથી. જો તમને એવું હોય કે આ બધું કિસ્મત જેવું ના હોય કઈં, તો સાંભળી લો. જે લોકોને બધું સામે ચાલી મળી ગયું છે ને એ લોકોને લાગે કે આ બધું કિસ્મત જેવું કાંઈ ના હોય, કિસ્મત તો જાતે બનાવાની હોય. જ્યારે…

  • कहानियां

    वैसे तो इधर-उधर हर जगह देखा है,कुछ कहानियों को मैंने बेमकां देखा है ।चिल्लाहट शुरू रहती है हमेशा उनकी,पर न सुनो तो उन्हें बेजुबान देखा है ॥ भीड़ में टकराती रहती है वैसे सब हररोज,पर बहुत कम कहानियों को समान होते देखा है।वैसे तो वजूद क्या भीड़ में अकेली कहानी का,पर अफसाने से सब का…

  • બિન અરીસે

    કાલે ફરી એક અંધારી રાત જોઈ ‘તી, બિન અરીસે પોતાની જાત જોઈ ‘તી. હતી કોઈ દી જે મસ્ત કાબર કલકલતી, કરતા મેં એને કોયલની વાત જોઈ ‘તી. કદાચ સૂકાઇ ગયો છે ચહેરો હવે ખૂબ, વર્ષે વરસતી, શર્માળ ભીની આંખ જોઈ ‘તી. ચુકવું છું જે લેણ સમયનાં ચલણમાં, જિંદગીભર મુદ્દલ ઘટે એની વાટ જોઈ ‘તી. બિન…

  • बिछड़ने से ज़रा पहले

    बिछड़ने से ज़रा पहलेईक बार मश्क ही कर लेते, वैसे ही जैसे हर बार किया करते थे। कि बाहर निकले गर तो करना क्या है, मैं मामा का बेटा बनूंगा या तुम चचेरी बहन। दीवार कूदने में लगी चोट को ढकना कैसे हैं, और पता चल जाने पर कहना क्या है॥ तुम्हारे घर पहली बार…

  • New Year

    I witnessed the year passing by through the smoke clouds of a bonfire. I felt nothing less than a future seer, who can look into the future. I on the other hand didn’t have to worry about how I will face what I saw, for I had already been through it. I witnessed the logs…

  • वह भी तो मैं हूं

    काग़ज़ भी मैं, कलम भी तो मैं हूं।डर रहा है‌ जो, मैं हूं, डराता भी मैं हूं॥ आंखों देखी, कानों सूनी, अनबनी बातों कामंदिर भी मैं, कूड़ेदां भी तो मैं हूं ॥ बस कुछ चंद लकीरों के जरिए,ज़िंदगियां जी जाता साहिर भी मैं हूं॥ सब निगल जाता समंदर भी मैं,कश्ती भी मैं, मुसाफिर भी मैं…

  • It’s hard. Still.

    It’s hard. Still. No matter how many years you’ve been away from your home, every time you leave your house it still hurts the same. Your heart is still as heavy as the first time you left so is your legs. Your throat is sore, all the water droplets in your body who once wanted…