• गंवाई है जिंदगी सारी, अब इक लम्हा नहीं है

    गंवाई है जिंदगी सारी, अब इक लम्हा नहीं है समझाने की आरज़ू तो है, कोई समझा नहीं है कितना खुश है आसमान, जमीं से जो देखो चाहे चांद हो या सितारा, कौन तन्हा नहीं है मिट्टी है अगर आदम, फूल क्यों नही आता खाद की कमी है ज़हन में या गमला नहीं है दिल तो…

  • नहीं है

    धुल नही पाया दिल, मगर लगा कोई गुलाल नहीं हैदुख तो है उस बात का मगर कोई मलाल नहीं है तड़प रहा हूं देने को जवाब मैं जिसे अरसों सेमिला वो आज मगर अब कोई सवाल नहीं है चाहा है बहुतों ने और जरूरत से बहुत ज्यादामगर लगता है उस जैसा कुछ कमाल नहीं है…

  • अचानक

    उछल रहा था कल तक, अचानक भारी सा क्यों हैंभरा हुआ है अगर दिल, लग रहा खाली सा क्यों हैं हर हर्फ में महोब्बत महकती थी उनके कभीहर अल्फाज आज उनका गाली सा क्यों हैं समझा लिया है सारी आवाम को अपनी बातों सेमगर फिर भी वो इक शख्स खयाली सा क्यों है उनसे नज़रे…

  • सोचता हूं

    लिख दूं उन्हें जब भी उनकी याद आती हैबता दूं मेरे कितना पास हो अब भी बहुत सा सीखा है मैंने जो वक्त साथ बीताबता दूं मेरी आदतों में खास हो अब भी यादें मिटाने की कोशिश भला मूर्खता होगीबता दूं क्या, जिंदगी की बुनियाद हो अब भी मुकम्मल क्यों नहीं होता वो सब जो…

  • Is embracing child-like qualities enough for life?

    Discover the transformative potential of embracing child-like qualities. Explore the power of innocence, authenticity, and their impact on personal growth.

  • कुछ यूँ ही

    Mother’s day का दिन था, कुछ यूँ ही पढ़ रहा था कुछ शेर और अलफ़ाज़, शायद कोई और कह पाया हो जो मैं कभी शब्दों में कह न सका। चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है मुनव्वर राना दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता…

  • कोई तो रोक लो

    फिसल रहा है दिल फिर उस गली में, कोई तो रोक लो घुल रही है बारिश की बूंदे फिर नदी में, कोई तो रोक लो हालातों सी मधुमक्खियां चुरा जाती है खुशियां मेरी ये जिंदगी की खुशबू को फैलने से कोई तो रोक लो ख्वाब और उम्मीदें गुनगुनाते रहते है दिन भर यहां रात को…

  • वक्त की उम्मीद में वक्त बर्बाद किया है

    वक्त की उम्मीद में वक्त बर्बाद किया है सिर्फ भूलनेवालो को हमने याद किया है आज या अंजाम की परवाह रही न थी फुसफुसाए तो जाना क्या रूदाद किया है कुछ महसूस करना, अंदर ही मुस्कुराना ये हादसा न जाने अरसों बाद किया है कब तक कैद रखता यादों में हसित आज़ाद पंछी को अब…

  • कभी कभी सोचता हूं, छोड़ दूं

    कभी कभी सोचता हूं, छोड़ दूं छोड़ दूं वो आखरी कील कोने की,जिस के बिना मेज़ है पूरा और नहीं भी मान लूं गलतियां सारी लेकिन छोड़ दूंइक अहम, जिसे अपना जुनून कह सकूं छोड़ दूं कुछ जिंदगी के अरमान बाकी,अगली पीढ़ी के गर्व करने खातिर ही सही जीत लूं मैं पूरी दुनिया लेकिन छोड़…

  • Jan 14, 2023 : Arugula vs Creosote

    They met a few hours ago. It was a botany workshop and the instructor shared some of her knowledge with the new class about different plants. It was a bit weird to hear one another’s characteristics and introduction from someone else. By the time the room was empty, every plant already knew everything about the…