Tag: poem
अखबार सा
कभी लगता है जग मैं मुझे छोड़सब ज्ञानी है, दुनियादारी समझते हैं,शायद हर रोज़ अखबार पढ़ते है । पर अखबार के बारे में सोचो तो,ज्ञान का भंडार, दुनिया का आईना,पर जिंदगी मानो सिर्फ ईक दिन की,कल उसकी जगह नया अखबार लेगा । और बस कहीं कोने में वह बैठा मिलेगा,कोई एक मामूली कागज़ की तरह…
Sometimes I wonder
Sometimes I wonderwhat that time looked like.No weekdays, holidays or weekendsall days used to look alike. Play because you want to,Eat whatever you feel is right,Sleep when you feel tiredDon’t bother what hour of the night. Not worth missing dreamsjust coz you’ve playschool tomorrow,We’ll see, will cry it outif it brings nothing but sorrow. Sometimes…
कहानियां
वैसे तो इधर-उधर हर जगह देखा है,कुछ कहानियों को मैंने बेमकां देखा है ।चिल्लाहट शुरू रहती है हमेशा उनकी,पर न सुनो तो उन्हें बेजुबान देखा है ॥ भीड़ में टकराती रहती है वैसे सब हररोज,पर बहुत कम कहानियों को समान होते देखा है।वैसे तो वजूद क्या भीड़ में अकेली कहानी का,पर अफसाने से सब का…
बिछड़ने से ज़रा पहले
बिछड़ने से ज़रा पहलेईक बार मश्क ही कर लेते, वैसे ही जैसे हर बार किया करते थे। कि बाहर निकले गर तो करना क्या है, मैं मामा का बेटा बनूंगा या तुम चचेरी बहन। दीवार कूदने में लगी चोट को ढकना कैसे हैं, और पता चल जाने पर कहना क्या है॥ तुम्हारे घर पहली बार…
वह भी तो मैं हूं
काग़ज़ भी मैं, कलम भी तो मैं हूं।डर रहा है जो, मैं हूं, डराता भी मैं हूं॥ आंखों देखी, कानों सूनी, अनबनी बातों कामंदिर भी मैं, कूड़ेदां भी तो मैं हूं ॥ बस कुछ चंद लकीरों के जरिए,ज़िंदगियां जी जाता साहिर भी मैं हूं॥ सब निगल जाता समंदर भी मैं,कश्ती भी मैं, मुसाफिर भी मैं…
चश्म-ए- बददूर
भाई के बारे में बताऊं तो… कद थोड़ा छोटा, रंग ज़रा सा सांवला था,दूर की नजर कमजोर थी, चश्मा लगाता था। मम्मी ना हो तो शैतान, हो तो बेचारा बन जाता था,लड़ाई हो जब भी, में गेंद, वह बॆट बन जाता था। वैसे तो वह हररोज कोई नई शामत ले आता था,कभी गब्बर की खिड़की,…
खोज
आसान तो नही होगा, मालूम था,तुम्हें ढूंढना लाखों की भीड़ में,पर फिर भी, निकलना जरूरी था। उम्मीद कुछ ज्यादा तो नहीं थी, बस खयालात थोड़े मिलते हो,गर ना मिले तो सही, बस कुछ नये हो। उसके साथ वक्त कुछ ऐसे गुज़रे,जैसे रेगिस्तान में दिखे बादल,थोड़ी छांव ना सही, बस थोड़ा भिगो दें। सारी दुनिया भूल जाऊं,…
ગુજરાતી ભૂલાતી જાય છે
થોડી વધારે રોકી રાખો, ગુજરાતી ભૂલાતી જાય છે.ગજવામાં બદામ રાખો, ગુજરાતી ભૂલાતી જાય છે. ચમકની લ્હાયમાં અંજાવવું સમજી શકાય છે પણ,પોતીકું સોનું જરાક ઝાંખો, ગુજરાતી ભૂલાતી જાય છે. વિશાળ આ સાગરનું પાણી તો સરકી જાશે,હથેળીની રેતી રાખો, ગુજરાતી ભૂલાતી જાય છે. હા મોત તો નિશ્ર્ચિત છે, બધાનું ય જીવન માં,ગળું નવ રુંધી નાખો, ગુજરાતી ભૂલાતી…
The Magical Touch
Your hands touched me, only to be followed by the kiss.The one for whom I’d die, yes, you were the one, a bliss, But nor did I think, my wish’d come true,it just followed, and it wasn’t from a grue. Hard as a stone, who once was so kinddeclared dead, buried, and just left behind.…
दुनिया : खेल का मैदान
वो खेल का मैदान जो , न जाने कितने खेलो का जन्मदाता था,अनजाना सा बच्चा आया है, उस भीड़ में खो जाने को अकेला । भाँती भाँती के खेल और भाँती भाँती के लोग,कोई अच्छा, कोई बुरा, पर गया घुल उनमे वह । गिरना, गिराना, फसाद होते रहते हे पल दो पल,रोना, हँसना, जितना, हारना…